इसे भी पढ़ें: 1-घमंडी चाट वाला
2-आलसी गधा की कहानी
सुंदर प्रिंसेस सिंडरेला की कहानी (rajkumari cinderella ki kahani)
कई साल पहले इस धरती पर सिंड्रेला(cinderella) नाम की एक लड़की रहती थी। सिंड्रेला के मां को गुजरे बहुत साल हो गए थे। उसके पिता नहीं उसे पाल पोस कर बड़ा किया था।
जब सिंड्रेला के पिता ने दूसरी शादी की तो उसके जीवन में बहुत बदलाव आया । उसके पिता की नई पत्नी और उसकी दो बेटियां सौतेले पिता के घर रहने आई।
पहली बार जब वे मिले तब से उसकी पत्नी को सिंड्रेला एक आंख नही जमती।
वह और उसकी दोनों बेटियां सिंड्रेला के दयालु दिल से बहुत ईष्या करती थी । सिंड्रेला की बहन सिंड्रेला जितनी खूबसूरत नहीं थी । इतना ही नहीं वह दोनों कठोर और बिगड़ी हुई भी थी।
एक दिन किसी काम के कारण सिंड्रेला के पिता को लंबी यात्रा पर जाना पड़ा और यही वह समय था जब सिंड्रेला की सौतेली माता, उसकी दोनों बेटियों ने उसके जीवन को नर्क बना दिया ।
जब सिंड्रेला अपने बगीचे में पछियों के साथ बातें कर रही थी तब उसकी सौतेली मां आई और कहती है—-— आज के बाद तुम इस अटारी में रहोगी और घर का सारा काम करोगी और तुम्हारा इस कपड़ों में घूमना फिरना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।
सिंड्रेला को पता नहीं था कि वह इस पर क्या बोले ? इसलिए जैसा उसे कहा गया वैसा उसने किया। उसने अपनी चीजें उठाई और अटारी में चली गई।
उस दिन के बाद से सिंड्रेला घर के सारे काम खुद ही कर लिया करती थी । और वह बहुत थक जाती थी लेकिन ना उसकी मां और ना उसकी सौतेली बहनों को दया आई।
और कहती —-फर्श ठीक से साफ कर, तुम्हें धूल नहीं दिखाई देती । तभी दूसरी बोलती —तुमने मेरे और कपड़े नहीं धोए ,मुझे आज पहनने के लिए कुछ नहीं है।
सिंड्रेला के कुछ पक्षी तथा चूहों के अलावा और कोई दोस्त नहीं था। रात के समय सिंड्रेला चिमनी के पास जाकर सेक लेते लेते हैं वही पर सो जाती है । वैसे ही दिन गुजरते गए ।
राजकुमार के विवाह समारोह की पार्टी घोषणा
एक दिन शहर में राज्य के द्वारा घोषणा की गई –—राजकुमार द्वारा महल में एक पार्टी का आयोजन किया गया है । शहर में शादी के पात्र सभी लड़कियों को आमंत्रित किया जाता है ।
जैसे ही सौतेली बहनों ने यह बात सुनी दौड़ते हुए अपने घर गई और अपनी मां को बताया ।
मां बोली —-शहर में तुम दोनों ही सबसे खूबसूरत होगी। राजकुमार को तुम दोनों में से एक को चुनना होगा और तुम्हारे लिए गाउन खरीदना पड़ेगा, चलो चलते हैं।
सौतेली मां और बहने बाहर चली गई। वहां खड़ी सिंड्रेला यह बात सुनकर बहुत दुखी हुई ।
कई दिन तैयारियां चल रही थी, सौतेली बहनों के गाउन सीलकर आ गए थे। हर समय वे लोग दर्पण के सामने खड़ी रहती है और बताती पार्टी में हम दोनों सुंदर लड़कियां होंगी।
…आखिर वह दिन आ ही गया । सौतेली बहनो ने उस दिन जल्दी उठ गई । उन्होंने सिंड्रेला को बुलाया—- सिंड्रेला कहां हो तुम जल्दी से यहां आओ और हमको तैयार करो।
पूरे दिन सिंड्रेला बहनों को तैयार करने करने में लगाई। शाम तक दोनों पार्टी के लिए तैयार हो गई। सिंड्रेला ने बहुत हिम्मत जुटाई और सौतेली मां से पूछा —क्या मैं भी पार्टी में आ सकती हूं ?
उसकी मां बोली —कौन तुम?
सिंड्रेला बोली —हां । उन्होंने सारे युवा लड़कियों को बुलाया है।
सब हंसने लगी और बोली —–क्या पार्टी के लिए यह तुम्हारे पोशाक हैं ? राजकुमार को पत्नी चाहिए , नौकरानी नहीं।
उसकी मां बोली ——चलो लड़कियों पार्टी के लिए देर हो रही है और तुम सिंड्रेला सारे काम सोने से पहले कर देना।
सौतेली मां और बहने पार्टी के लिए निकल गई और घर पर अकेली सिंड्रेला रोने लगी और बोली ——मैं पार्टी में क्यों नहीं जा सकती ? अगर माता-पिता आज यहां होते तो यह सब नहीं होता ।
सुंदर परी का आगमन (pari ki kahani)
उसी समय एक उज्जवल प्रकाश दिखाई दिया । पहले तो सिंड्रेला समझ नहीं पाई कि वह क्या था और वह प्रकाश को एकटक तक देखी जा रही थी और अचानक प्रकाश के बीचो बीच एक खूबसूरत परी दिखाई दी ।
और बोली—– मेरी प्यारी सिंड्रेला, रो मत। तुम भी पार्टी में जाओगी ।
सिंड्रेला को उस पर विश्वास नहीं हुआ उसने हडबड़ाकर पूछा—– क्या मैं जा सकती हूं ? मेरी हालत तो देखो।
परी बोली —–चिंता मत करो मैं हूं ना तुम्हारे हालत के लिए। मुझे एक कद्दू और 7 चूहे ला कर दो ।
सिंड्रेला को यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह चीजें उनको क्यों चाहिए , पर उसे जो कहा गया उसने वही किया।
पहले व रसोई घर में गई और बड़ा सा कद्दू लेकर ,आई फिर वह अटारी में गई और अपने चूहे दोस्तों को लेकर आई।
परी ने अपने सुंदर छड़ी से कद्दू को एक बग्गी में बदल दिया । फिर वह चूहे की तरफ मुड़ी –उनमें से एक ड्राइवर बन गया और बाकी से सफेद सुंदर घोड़े बन गए।
आश्चर्यचकित सिंड्रेला बग्गी और घोड़ों को देख रही थी। फिर उसने सिंड्रेला की तरफ मुड़ी और अपनी छड़ी घुमाई सिंडरेला की ड्रेस एक पार्टी ड्रेस गाउन में बदल गया ।
गाउन और उसके पैरों के चप्पल सुंदर कांच के जूते में बदल गए।
सिंड्रेला बोली –—मैं राजकुमारी की तरह दिख रही हूं ।
तब परी ने कहा —-अब पार्टी में जाने का समय हो गया है और बोलती है –पर भूलना मत पाए जैसे ही 12:00 बजे , तुम घर चली जाना, क्योंकि उसके बाद तुम पहले जैसी हो जाओगी।
सिंड्रेला ने परी को ध्यान से सुना, फिर वह बग्गी में बैठ गई और महल की ओर चल पड़ी । उसकी खूबसूरत बग्गी महल के सामने जाकर रुक गई।
जब सिंड्रेला ने भव्य दरवाजे से प्रवेश किया तो सबकी आंखें उसे देख रही थी । वह बहुत सुंदर और खानदानी लग रही थी । उसकी सौतेली मां और बहन ने भी इस सुंदर महिला को देखते ही रह गई थी । वे उसे पहचान भी नहीं पाई थी ।
अचानक वहीं पर राजकुमार दिखाई दिया । सिंड्रेला सच में पार्टी में उपस्थित लड़कियों में ,सबसे सुंदर लग रही थी।
राजकुमार को पहली ही नजर में इस खूबसूरत लड़की से प्यार हो गया । सभी राजकुमार को उत्सुकता से देख रहे थे, वह धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया।
सौतेली बहनो ने बहुत खुश हो गई कि राजकुमार उसकी तरफ आ रहा है पर राजकुमार आगे बढ़ा और सिंड्रेला के पास जाकर रुक गया और कहता है— सुंदर युवती क्या तुम मेरे साथ नृत्य करना पसंद करोगी।
सिंड्रेला ने विनम्रता से हां कहा। राजकुमार और सिंड्रेला ने उत्सुकता से देख रहे लोगों के बीच नृत्य करना शुरू किया।
सिंड्रेला संगीत और नृत्य से इतनी प्रभावित हो गई कि उसे लगा कि महल में सिर्फ वह और राजकुमार है । वे दोनों देर रात तक नृत्य करते रहे ।
सिंड्रेला को पता ही नहीं चला कि कितना वक्त गुजर गया है। अचानक उसकी नजर घड़ी पर पड़ी। आधी रात हो चुकी थी।
उसी समय सिंड्रेला को परी की चेतावनी याद आई । हड़बड़ाकर, उसने राजकुमार को वही छोड़ा और भागने लगी।
जब वह महल की सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तभी एक जूता सीढ़ियों पर छूट गया। उसे जूता लेने का समय ही नहीं था ।
जब वह बाहर पहुंची तो घड़ी में 12:00 बज चुके थे और सब कुछ फिर से वैसा ही हो गया था जैसा पहले था ।
जब राजकुमार उसके पीछे भागा तो उसका जूता उसके पीछे मिला ,उसने कहा –— आप पता करो यह जूता किसका है।
सिंड्रेला भागती हुई अपने घर पहुंची और सीधे अटारी पर गई। वह राजकुमार के साथ बिताए वक्त को सोचने लगी। उसे पता था कि उसके पास कोई मौका नहीं था। पर फिर भी उसे राजकुमार से प्यार हो गया।
राजकुमार को उस लड़की को खोजना असंभव था , अगर वह खोज भी लेता तो पहचान नहीं पाता।
राजकुमार के आदमी घर-घर जाकर उस जूते के मालकिन को खोजने लगे, पर जूता किसी लड़की के पैर में फिट नहीं हुआ । अंत में आदमी सिंड्रेला के घर पहुंचे।
सिंड्रेला राजकुमार के आदमी को घर के सामने देखकर बहुत खुश हो गई । जैसे ही सिंड्रेला घर के बाहर जाने लगी , उसकी सौतेली मां उसे दरवाजे पर दिखाई दी और बोली—— तुम भी जूता पहनने की कोशिश करना चाहती हो और हंसने लगी ।
और उसने सिंड्रेला का दरवाजा बंद कर दिया, सिंडरेला बोली-— कृपा करके दरवाजा खोलो ।
राजकुमार के आदमी ने उसकी बेटियों को जूता पहनाता है, पर वह छोटा था। उन्होंने बहुत ही कोशिश की लेकिन नाकाम रहे ।
सिंड्रेला ने खिड़की की तरफ दौड़ने की आखिरी कोशिश की । पर खिड़की बहुत दूर थी और वह रोने लगी।
उसे रोता देख उसके चूहे दोस्त उसके पास आए। सिंड्रेला ने कहा-—– मेरी सौतेली मां ने मुझे बंद कर रखा है, चाबी उसी के पास होगी।
चूहा दरवाजे के नीचे से फिसल कर घर के बाहर आया। सौतेली मां राजकुमार के आदमियों के साथ दरवाजे पर खड़ी थी। चूहे ने सौतेली मां के स्काउट में कूदकर, चाबी निकाली और ऊपर की ओर दौड़ा। उसने चाबी दरवाजे के नीचे से अंदर सरका दी।
राजकुमारी सिंडरेला का विवाह (rajkumari cinderella ki kahani)
चाबी देखकर सिंड्रेला बहुत खुश हुई । दरवाजा खोलकर वह जल्दी से नीचे की तरफ भागी ।
वह राजकुमार के आदमियों से बोली –—–कृपया रुक जाइए । मुझे भी जूता पहनना है।
सौतेली मां और बहनों ने यह सुनकर बहुत जोर से हंसने लगी।
सिंड्रेला ने जूता पहना तो सबको आश्चर्य हुआ ,क्योंकि जूता उसको एकदम फिट हुआ ।
राजकुमार के आदमी ने पूछा ——सुंदर युवती क्या यह जूता तुम्हारा है ?
सिंड्रेला ने गर्दन हिलाकर हामी भरी । कृपया हमारे साथ महल चले। सिंड्रेला उनके साथ महल में गई ।
उन्होंने उसे राजकुमार के सामने पेश किया । जैसे ही राजकुमार ने सिंड्रेला की आंखों में देखा, उसने समझ गया कि वह , उस रात उसी के साथ नृत्य किया था।
और कहा —–आखिर मैंने तुम्हें ढूंढ ही लिया । क्या तुम मुझसे विवाह करोगी?
खुशी के आंसू भरे आंखों से उसने राजकुमार का प्रस्ताव स्वीकार किया। उन्होंने शादी की और खशी से जीवन बिताने लगे।
इस प्रिंसेस सिंडरेला कहानी (cinderella ki kahani) को पढ़कर आपको कैसा लगा comment करके जरूर बताइए।
इसी तरह की नई नई हिंदी कहानियों (hindi story new) तथा परियों की कहानी (pari ki kahani) को पढ़ने के लिए हमारे facebook page को like करे तथा अपना email subscribe कर ले।
कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद !