हठी राजा(hindi natik kahaniyan new )
राजा , सोनपुर गांव में रहता था । जैसा उसका नाम वैसे उसके सपने । राजा खुद को सच का राजा समझता था। न हीं वह कोई काम करता और ना ही अपने माता-पिता का सम्मान करता। बस बड़ी-बड़ी बातें करता रहता।
घरवाले तो उससे परेशान थे ही ,गांव वाले भी उससे परेशान थे। जब उसकी मर्जी होती किसी के घर भी जा कर बैठ जाता और सच के राजा की तरह गांव वालों पर रोब जमाता।
गांव वाले उसे बच्चा समझ कर कुछ नहीं कहते थे । सब सोचते बड़ा होकर सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन राजा को ऐसा लगता था कि वह किसी से भी कुछ भी करवा सकता है।
एक दिन की बात है राजा के पिता ने राजा से कहा —-राजा जाकर खेत में थोड़ा काम करवा लो । आज मैं खेत नहीं जा सकता, मेरी तबीयत ठीक नहीं है।
राजा बोला ——पिताजी मैं नहीं जाऊंगा ,मुझे काम करना पसंद नहीं है।
पिता ने बोला —–राजा अगर तुम खेत जाओगे तो मैं तुम्हें ₹100 दूंगा। ₹100 के लालच में राजा खेत चला जाता है और वहां सबसे काम करवाता है ।
उसे दूर एक चमकती हुई चीज दिखाई देती है। खेत में काम कर रहे लोगों से पूछता है —वह सामने क्या चमक रहा है ?
एक आदमी बोलता है —-वह सोने की झोपड़ी है ।
राजा बोलता है –—सोने की झोपड़ी!
आदमी बोलता है —-हां ,वहां एक साधु रहते हैं ।
राजा सोचता है —अगर इस झोपड़ी का थोड़ा सा सोना मुझे मिल जाए ,तो मैं सच का राजा बन जाऊंगा और राजा झोपड़ी के पास जाता है ।
जैसे ही वह झोपड़ी को हाथ लगाता है, अंदर से आवाज आती है —-कौन है बाहर अंदर आओ?
राजा अंदर जाता है, तो साधु कहता हैं —कौन हो तुम और यहां क्या कर रहे हो ?
राजा डर के कारण उन्हें सब सच सच बता देता है, तो साधु राजा को पूछते हैं—– तुम सच में राजा बनना चाहते हो।
राजा बोलता है-— हां ,तब साधु बोलते हैं-— तो उसके लिए तुम्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी और मुझे खुश करना पड़ेगा। साथ ही अपने माता पिता और गांव वालों को खुश करना पड़ेगा, फिर मैं तुमको वरदान दूंगा ।मेरा वरदान मिलते ही तुम्हारे पास सब कुछ होगा।
राजा बोलता है—- क्या? आप सच कह रहे हैं।
साधु बोलते हैं —हां।
अब अगले दिन से ही राजा सबको खुश करने में लग जाता है। बिना पिताजी के कहे उनके साथ काम करवाता है। गांव वालों को कभी परेशान नहीं करता और रोज शाम को सोने की झोपड़ी वाले साधु महाराज के पास जाता है, उनकी सेवा करता है ।
राजा को ऐसा करते देख राजा के पिता, राजा की मां से कहते हैं —-यह अचानक राजा को क्या हुआ?
राजा की मां बोलती है—- मुझे भी नहीं पता , कल तो गांव वाले भी राजा की तारीफ कर रहे थे, उनका भी काम करवाता है।
पिताजी बोलते हैं-— लेकिन अचानक राजा में इतना परिवर्तन ।
मां बोलती है— यह तो बहुत अच्छा ही है। मुझे राजा की बहुत चिंता हो रही थी, ऐसा आलसीपन कब तक चलता ।
पिताजी बोलते हैं–— हां, तुम सही कह रही हो ,अब गांव में भी राजा की वाहवाही होने लगती है ।
कुछ समय बाद जब राजा साधु के सोने की झोपड़ी में जाता है और उनसे पूछता है — महाराज आप मुझे वरदान कब देंगे ? मैं सच का राजा बनना चाहता हूं और आपके कहे अनुसार मैंने सब कार्य किया और हमेशा करूंगा ।
साधु बोलता है—– राजा बेटा अभी तुमको और थोड़ा परिश्रम और करना होगा। जैसा कि मैंने तुमको कहा था, राजा बनने के लिए तुमको मेहनत करनी होगी ।
राजा बोलता है —-जैसा आप कहे महाराज और राजा और मेहनत करता है।
अब गांव में ऐसा हो जाता है कि जहां भी राजा जाता उसको बहुत आदर सत्कार मिलता। राजा को बहुत खुशी होती। अब राजा को सबका काम करने और उनकी सेवा करने में मजा आने लगा।
वह अपने माता-पिता की भी बहुत सेवा करता और कभी किसी को गलत नहीं कहता।
एक दिन जब राजा, साधु की झोपड़ी में जाता है, तो साधु उससे पूछते हैं —-राजा इतना समय हो गया तुमने मुझसे दोबारा पूछा ही नहीं, कि मैं इतना परिश्रम कर रहा हूं मुझे दोबारा वरदान कब देंगे?
राजा बोला –—महाराज मुझे राजा बनने की क्या जरूरत है? सबसे मुझे इतनी इज्जत मिली और इतना प्यार मिलता है। तो वैसे भी राजा बन गया और पैसे और महल का तो मैं क्या करूंगा ,ऐसे भी बहुत खुश हूं।
साधु बोला ——बेटा यही मेरा वरदान था ।यही तो मैं तुम को समझाना चाहता था।
मुझे बहुत खुशी हुई तुम यह बात खुद ही समझ गए ।
राजा बोला—- लेकिन मैं आपसे एक बात जरूर कहूंगा की, सोने की झोपड़ी ने मुझे इतना बदल दिया जीतना मैंने सोचा भी नहीं था ।
साधु के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है ।
अब सब खुशी-खुशी रहने लगते हैं।
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