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new jadui story in hindi |
गरीब मटकेवाले (jadui story in hindi)
माधवन नाम के एक गांव में चंदन नाम का एक मटके-वाला रहता था। उसकी पहली पत्नी गुजर चुकी थी , जिसकी लड़की थी राधा।
चंदन ने दूसरी शादी कर ली । दूसरी पत्नी निर्मला की बेटी थी ,नेहा । निर्मला की जब शादी हुई तो वह राधा से सौतेला व्यवहार करने लगी ।
वह उसे घर का सारा काम करने बोलती और कभी कभार उसे रात को भूखे पेट ही रखती थी। जब चंदन मटके बेचकर आता तब , निर्मला काम करने लग जाती और उसे झूठा दिखावा करती ।
राधा का शांत स्वभाव होने के कारण, उसकी मां उसके उस स्वभाव का फायदा उठाती थी । और निर्मला उसे बहुत सारा काम बताती और खाने में रुखा सुखा दिया करती थी।
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mataka story in hindi |
एक दिन निर्मला बाजार से बहुत सारे फल खरीद कर लाती है । निर्मला उसमें से सारे फल खा लेती है और कुछ बचे कुचे फल राधा को देती है और बोलती है ——राधा यह ले अनार खा ले , वरना बोलेगी कि माँ कुछ भी खाने को नहीं देती ।
तभी राधा बोलती है —– नही मा मैं ऐसा क्यो बोलू। निर्मला बोलती है —-हां आजकल की लड़कियों का क्या भरोसा ।
राधा वह अनार ले कर चली जाती है और अपने घर के बगीचे में बैठकर खाने लगती है । कुछ अनार वह खा लेती है और कुछ अनार के दाने नीचे जमीन पर गिर जाते हैं ।
राधा उदास होकर वहां बैठ कर रोने लगती है।
सात-आठ दिनों बाद आंगन में एक छोटा सा पौधा उग जाता है । उस पौधे को देखकर राधा बहुत खुश हो जाती है। राधा पौधे का प्रतिदिन ख्याल रखती थी और घर के काम भी किया करती थी।
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राधा को मिला जादुई अनार का पेड़ (jadui kahani in hindi)
एक दिन उसके पिताजी की तबीयत बहुत खराब हो जाती है इसलिए वह घर पर ही आराम करने लगते हैं। अब घर में काम करने का कोई जरिया नही रहता और इसी के कारण निर्मला घर में हमेशा झगड़े करने लगती है।
ऐसे ही बहुत दिन बीत जाते हैं, मगर चंदन के ठीक होने की कोई संभावना नहीं दिखती। अब निर्मला तंग होकर ,नेहा को लेकर मायके चली जाती है ।
राधा अपने पिताजी चंदन का अच्छे से ख्याल रखती है। मगर घर में अब अनाज का एक भी दाना नहीं बचा था। वह अब घर के पीछे के बाग में जाकर रोने लगती है।
तभी अचानक उस पेड़ से आवाज आती है —राधा…
राधा बोलती है—- कौन है ? यह आवाज किसकी है ?
तो पेड़ बोलता है—- राधा मैं हूं, अनार का पेड़ जिसे तुमने लगाया है ।
राधा पूछती है–— क्या तुम बोल सकते हो ?
पेड़ बोलता है—– हां राधा मैं जादुई अनार का पेड़(jadui anar ka ped) हूं जिसे तुमने बनाया है । राधा रोना बंद करो और क्या समस्या है ? मुझे बताओ। मैं तुम्हारी मदद करूंगा ।
राधा बोलती है –—तुम मेरी क्या मदद कर सकते हो ?
पेड़ बोलता है –—-तुम अपनी समस्या तो बताओ फिर देखो कमाल।
राधा बोलती है ——मेरे पिताजी की तबीयत बहुत खराब है और सौतेली मां भी घर छोड़ कर चली गई है । घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं है। अब मैं खाना और पिताजी के इलाज के लिए पैसे कहां से लाऊं ? ऐसा कह कर राधा फिर से रोने लगी।
तभी अनार के पेड़ पर बहुत सारे अनार लग जाते हैं । वह इतने सुंदर होते हैं कि राधा उन्हें देखती ही रह जाती है।
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jadui anar ka ped |
और वह जादुई पेड़(jadui ped) बोलता है–— राधा मेरे पेड़ की टहनियों को नीचे करके सारे अनार तोड़ लो और बाजार जाकर बेच आओ। उससे जो भी पैसे मिलेंगे उससे तुम खाना और दवाइयां खरीदना।
पेड़ के कहां अनुसार , राधा अब सारे अनार निकाल लेती है और उन्हें टोकरी में लेकर बाजार में बेचने के लिए बैठती है।
एक ग्राहक आता है और पूछता है-— अनार कैसे दियो?
राधा-– ₹50 किलो।
ग्राहक–सिर्फ ₹50 ! 2 किलो दे दी दीजिए ।
देखते ही देखते उसके सारे अनार बिक जाते हैं और वह जल्द ही घर लौट आती है। घर जाते समय वह अपने पिताजी को दवाई और कुछ सामान लेकर घर जाती है।
खुशी-खुशी अपने पिताजी को भरपेट खाना खिलाकर, दवाई देती है। बाद में वह पेड़ को शुक्रिया करने के लिए अपने पीछे वाली बाग में जाती है।
तभी वहां पेड़, फिर से अनार से भरा हुआ नजर आता है। राधा बोलती है –—हे जादुई पेड़ ,तुम्हारा धन्यवाद ! आज बहुत दिनों के बाद हमने भरपेट खाना खाया है।
जादुई पेड़ बोलता है —-आज से तुम हर रोज ,फिर से अनार तोड़कर बेचना। तुम्हें कभी खुशियों की कमी नहीं होगी ।
अब राधा रोज सुबह अनार के पेड़ से अनार निकालती और बाजार में जाकर बेजती। राधा अपने पिताजी का अच्छे से इलाज कर पाने की वजह से बहुत खुश थी ।
पिताजी की तबीयत में अब सुधार आने लगा ,कुछ ही दिनों में ठीक हो गए और अपना मटके बनाने का कारोबार फिर से शुरू कर दिया।
राधा की शादी (new hindi jadui kahani)
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new jadui story in hindi |
अब राधा उनका भी कुछ मदद कर दिया करती थी। धीरे-धीरे राधा अनार बेचकर अमीर बन गई। अब उनके पास सब कुछ था।
राधा ने गांव में एक दुकान खरीदी। जिसमें वह और उसके पिताजी कारोबार किया करते थे ।
एक दिन राधा के दुकान पर एक बड़ी गाड़ी आकर रुकी और उसमें से एक बहुत ही सुंदर दिखने वाला इंसान बाहर आया और बोला—- यह सारे अनार कितने के दिए ।
राधा बोलती है —–₹200 में। आपको सब चाहिए !
आदमी बोलता है–– हां सब दे दो ।
वह नौजवान राधा की सुंदरता को निहारता ही रहता है। और अनार लेकर वहां से चला जाता है ।
अगले दिन निर्मला अपनी बेटी के साथ घर लौट आती है। चंदन उसे बहुत खरी-खोटी सुनाता है । निर्मला अपने किए के पश्चाताप में आंसू बहाती है।
राधा के कहने पर चंदन उसे माफ कर देता है । उसी दिन उनके घर में वह बड़ी गाड़ी वाला नौजवान आता है,और कहता है —–नमस्ते ! मेरा नाम सुशील है । मेरा खुद का बिजनेस है और मैं इसी शहर में रहता हूं।
मुझे आपकी बेटी बहुत पसंद आई है ,इसीलिए मैं यहां रिश्ते की बात करने आया हूं ।
राधा के पिता जी बोलते हैं —-हां पर अपने मां- पिताजी को साथ ले आते। उनसे बात करके आगे की बात बढ़ाते।
नौजवान बोलता है-— मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। मैं अकेला ही हूं।
राधा के पिता बोलते हैं-— माफ कर देना बेटा।
नौजवान बोलता है—कोई बात नही आप एक बार राधा से पूछ लीजिए कि उसको यह रिश्ता मंजूर है या नहीं ।
राधा के पिता बोलते हैं —-बेटी राधा , जरा बाहर आओ और कहते हैं– तुम्हें यह रिश्ता मंजूर है ?
राधा शर्माकर घर के अंदर चली जाती है । जल्द ही उन दोनों की शादी होती है ।
राधा उस जादुई पेड़ के पास आती है और उससे कहती है –—हे जादुई अनार के पेड़ ! आज तक तूने मेरा बहुत साथ दिया , उसके लिए धन्यवाद । अभी मेरे पिताजी का मेरी तरह ही ख्याल रखना।
पेड़ बोलता है ––तुम निश्चिंत होकर जाओ , यहां की चिंता मत करो ।
ऐसा कह कर राधा अपने घर चली जाती है और खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करती है ।
नैतिक सीख (moral story’s lesson)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी के साथ बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए । अंत में अच्छे लोगों के साथ अच्छा ही होता है।
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कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद! अच्छा पढें, अच्छा सीखे।