जंगली राही की कहानी(moral stories for childrens in hindi )
बात बहुत पुरानी है । मंगलू नाम का एक राही जंगल के रास्ते से गुजर रहा था और चलते चलते थक गया था। प्यास के मारे उसका गला सूख रहा था। उसे दूर दूर तक कहीं पानी ना दिखाई दे रहा था ।
मंगलू एक पेड़ के नीचे बैठ गया । तभी उसे कल कल की आवाज सुनाई दी । वह उस आवाज को सुनता हुआ उसके साथ साथ आगे बढ़ने लगा । कुछ दूरी पर एक छोटी सी नदी बह रही थी । नदी को देखकर वह बहुत खुश हो गया और पानी पीने के लिए आगे बढ़ा।
मंगलू का लालच (lalach of Mangalu )
अचानक मंगलू के मन में एक विचार आया ——क्यों ना पत्तों का दोना बना लूं, उसमें भर कर पानी पीना आसान रहेगा। यही सोचता हुआ वह आगे बढ़ा । वह पेड़ से पत्ता तोड़ने ही वाला था कि ,उसकी नजर दूर के एक मिट्टी के कटोरे पर पड़ी।
वह उसे लेने के लिए आगे बढ़ा तभी ,उसने सोचा—-— काश यह लोहे का कटोरा होता तो कितना अच्छा होता। अब वह लोहे के कटोरे की तलाश में आगे बढ़ा। कुछ दूरी पर उसे लोहे का कटोरा भी दिख गया। अब मंगलू के आंखों में चमक आ गई थी ।
तभी मंगलू के दिमाग में खयाल आया ,अरे ! बहुत अच्छा है, यहां जो कुछ भी चाहो वह मिल जाता है । चलो थोड़ी दूर और चला जाए शायद पीतल का कटोरा मिल जाए। पीतल का कटोरा भोजन पकाने के भी काम आ जाएगा ।
यह सोचते हुए मंगलू कहता है —-चलो चलते है, यह सोचते हुए और आगे बढ़ा । आगे बढ़ने पर उसे पीतल का भी कटोरा मिल गया ।
अब उसके मन में और भी उम्मीद जागी । चलो थोड़ा और आगे चलकर देखता हूं ,हो सकता है चांदी का कटोरा भी मिल जाए।
वह काफी चल चुका था । उसके पैरों में छाले पड़ गए थे । उसके कदम लड़खड़ा रहे थे, फिर भी मन बार-बार कहता ,उसे चांदी का कटोरा जरूर मिलेगा ।
उसने एक बार फिर से हिम्मत जुटाई और आगे बढ़ने लगा । वह थोड़ी ही दूर चला कि उसे एक चांदी का चमकता हुआ कटोरा दिखा।
वह बोला-—- आखिर मेरी मेहनत रंग लाई, उसने लपक कर उस चांदी के कटोरे को उठा लिया ।
वह वापस नदी की तरफ जाने ही वाला था कि, उसके मन में और लालच आ गया ।
उसने सोचा— आज का दिन मेरे लिए बहुत अच्छा है, शायद थोड़ा और ढूंढने पर मुझे सोने का भी कटोरा मिल जाए ।
प्यास के कारण उसके आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था । उसने पेड़ के पास से एक डंडा उठाया और उसी के सहारे आगे बढ़ने लगा।
उसके काफी दूर चलने पर उसे सोने का कटोरा भी मिल गया । खुशी से उसकी आंखें चमक उठी , मंगलू ने झुक कर सोने का कटोरा उठा लिया। उसकी तलाश खत्म हो गई थी।
अब वह वापस नदी की ओर चलने लगा, परंतु नदी बहुत पीछे छूट गई थी। चलते -चलते उसके कदम लड़खड़ाने लगे । हाथ से डंडी भी छूट गई और वह गिर गया । पर सोने का कटोरा अभी उसके हाथ में ही था।
प्यास के कारण उसका दम निकला ही जा रहा था। वह नदी के बिल्कुल समीप आ गया था।
उसने हिम्मत जुटाई ,खड़े होने की पूरी कोशिश की लेकिन खड़ा नहीं हो पाया और गिरकर बेहोश हो गया ।
कल कल नदी हंसी और बोली—– हा हा हा ! अभाग्य मनुष्य , तू बेकार में भटकता रहा। पानी पीने के लिए तो तेरे दोनों हाथ ही काफी थे।
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की हमे ज्यादा लालच नही करनी चाहिए। ज्यादा लालच करना दुःख का कारण बन जाता है।
उम्मीद है यह कहानी आपको बहुत पसंद आइ होगी।इसी तरह की और नई नई हिंदी नैतिक कहानियों(new moral stories in hindi) को पढ़ने के लिए इस website को subscribe कर ले तथा facebook ग्रुप को भी join कर सकते है। धन्यवाद!