गरीब किसान की कहानी (story in hindi with moral)
सोनपुर गांव का किसान रामु हमेशा दुखी रहता था। दूसरे के यहां काम करके उसकी इतनी कमाई नहीं होती थी कि वह सुखी रहे। गांव के लोगों के पास की खुद की जमीन थी, इसलिए वे सुखी थे ,रामू भी चाहता था कि उसके पास भी खुद की जमीन हो लेकिन यहां संभव नहीं था ।
रामु एक दिन सोनपुर गांव के जंगल से गुजर रहा था कि अचानक उसे एक तपस्या कर रहा साधु मिलता है। रामु मन में सोचता है कि –आज फिर दूसरों के यहां खेती करने से कुछ पैसे मिल गए , इतने पैसों से कैसे गुजारा होगा? कब मेरा खुद का खेत होगा ?कब मैं पैसे वाला बनूंगा? क्या कभी ऐसा होगा या नहीं होगा ।
और वह अचानक गिर जाता है ।
तभी तपस्या कर रह साधु की आंख खुलती है और वह आकर रामू से पूछता है –क्या हुआ बालक कैसे गिर गए ?
रामू ने बोला—- बाबा मैं बहुत दुखी हूं।
साधु बोला-—– क्या हुआ बालक मुझे बताओ शायद मैं कुछ उपाय बता सकूं।
रामू बोला—- इसका कोई उपाय नहीं है बाबा, फिर भी बता रहा हूं –मैं इस गांव का किसान हूं मेरे पास खुद की जमीन नहीं है ,वरना मैं भी काफी कमाई कर सकता था।
तब साधु बोला —–जमीन क्यों नहीं है, तुम भी तो जमीन पर रहते होगे ।
रामू बोला —-नहीं खेती की जमीन की बात कर रहा हूं बाबा। मेरे पास तो सिर्फ एक घर है और घर के बाहर एक आगन।
साधु बोला—– बेटा जमीन तो जमीन होती है पर तुम्हारे पास तो घर के बाहर आंगन की जमीन है । उसे ही खेत की जमीन समझकर उस पर खेती करो ।
रामू बोला—– अरे इतनी छोटी सी जमीन से क्या होगा बाबा।
साधु बोला—– तुम खेती तो करो सही, सब होगा ।
रामू बोला—– मैंने बचपन की कहानियों में सुना था कि किसी दुखी को बाबा मिलते हैं और वह उसे जादुई चीज देते हैं और उसका का भला हो जाता है।
तब साधु बोला —–ठीक है, कल मैं तुझे जादुई दाने दूंगा, तुम उसे अपने आंगन में उगाना । यह सुनकर रामु खुशी खुशी अपने घर चला जाता है। रात भर उसे नींद नहीं आती है।
दूसरे दिन सवेरे ही वह साधु के पास पहुंच जाता है और जाकर कहता है — बाबा आप मुझे कुछ जादुई चीज देने वाले थे ।
जादुई दाना
साधु बोला—– हां यह लो इसे ले जाकर अपने आंगन में उगा देना तुम्हारी जिंदगी बदल जाएगी ।
सचमुच ! रामू लाकर सारे दाने आगन में डाल देता है । कुछ समय बाद वह देखता है की उसका आगन किसी हरे भरे खेत की तरह हरा हो जाता है ।
यह देखकर रामू बहुत खुश हो जाता है और खुशी-खुशी सब्जियां काटकर अपनी बैलगाड़ी में भरकर बेचने निकल पड़ता है ।
रास्ते में दो लोग आपस में बात करते हैं कि यह तो अपना रामू है ना पर इसके पास इतने हरी-भरी सब्जी कहां से आई। उनमें से एक व्यक्ति रामू से जाकर पूछा —क्यों भाई रामू ? रात में किसी का खेत काट दिया है क्या ?
रामू बोला—– नहीं नहीं यह तो मेरे खेत की सब्जी है ।
दूसरा व्यक्ति बोलता है—- कि तेरे पास कहां से खेत आया ।
रामू बोला—— मैंने अपने आंगन को ही खेत बना लिया था। यह सारी सब्जियां मैंने वहीं से उगाई हैं ।
पहला आदमी बोलता है —–अरे वाह! इसकी सब्जियां तो सब्जी वाली खेती से भी अच्छी हैं ।
रामू को यह बात तब समझ में आती है जब उसकी सभी सब्जियां बाजार में जाते ही हाथों-हाथ बिक जाती हैं और वह खुशी-खुशी बाबा के पास पहुंचता है और कहता है —–बाबा मुझे आशीर्वाद दीजिए बाबा।
साधु बोला—– क्या बात है बालक? बड़े खुश नजर आ रहे हो।
रामू बोला —-बाबा आपके जादुई दाने ने तो कमाल कर दिया। मेरा आगन सब्जियों से भर गया था, खूब फायदा हुआ मुझे । आपके जादुई दाने और चाहिए बाबा ।
साधु बोला—– यह लो बालक।
रामु बोला —–धन्यवाद बाबा आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
साधु बोला —-सुनो बालक अब तुम्हें बार-बार मेरे पास दाने लेने आने की जरूरत नहीं है । मैंने इन दानों में भरपूर जादू डाल दिया है। दाने से उगी सब्जी से निकले दाने को तुम फिर से आंगन में डाल देना फिर फसल बन जाएगी।
रामू वह दाने भी लाकर आगन में उगा दिए । कुछ समय बाद उसका आगन फिर से सब्जियों से भर गया उसके बाद तो वह उन सब्जियों को बाजार में बेचता और उसके दाने फिर आंगन में उगा देता।
धीरे-धीरे उसकी सब्जियां बाजार में मुंह मांगे कीमत पर बिकने लगी। उसके पास पैसे ही पैसे आने लगे । उसे धीरे-धीरे पैसे वाले होते देख गांव के लोगों के साथ उस गांव के जमीदार की नजर भी उस पर पड़ी ।
जमीदार बोला—- अरे कल्लू यह तो अपना रामू ही है ना ।
कल्लू बोला —-हां जमीदार साहब, इसकी सब्जी की मांग तो हमारे सब्जी से भी ज्यादा है ।
तब दूसरा आदमी बोला —-अरे गरीब आदमी है जमींदार साहब नहीं तो यह पूरे बाजार में सब्जियों पर कब्जा कर लेता ।
तब जमीदार बोला—- तो यह सब्जी कहां से उगाता है?
कल्लू बोला—– अपने आंगन में उगाता है।
जमीदार कहता है —–चलो इसे जमीन दे देते हैं , जमीदार रामू के पास जाकर कहता है –—का हाल है ।
रामू बोला —-बस आपकी मेहरबानी है, जमीदार साहब।
जमीदार बोला —-अरे अभी हम आपके ऊपर मेहरबानी किये कहां है, अब करेंगे । एक छोटी सी आंगन में खेती करने से क्या होता है? एक काम कर ,गांव के किनारे जो मेरी जमीन है वह तुम ले ले ।
रामू बोला —-क्या कह रहे हैं जमीदार साहब आप ?
जमीदार बोला —-हां और उस पर भरपूर मात्रा में सब्जियां उगाना। जमीन हमारी सब्जियां तुम्हारी, जो भी सब्जियां तैयार होंगी उससे हुई कमाई में हम आधा आधा कर लेंगे।
रामू का तो बरसों से सपना था कि उसके पास खूब जमीन हो और वह उस पर खूब खेती करें । आज जमीदार की वजह से उसका सपना पूरा हुआ।
वह उस पर दिन- दूनी रात चौगुनी मेहनत करता गया। वह सब्जियां उगाता गया और धीरे-धीरे उसकी सब्जी की मांग इतनी हो गई कि वह अब बाजार नहीं जाता था । बाजार के लोग सब्जियां खरीदने खुद उसके गांव आने लगे ।
अब वह रामू नहीं रामू सेठ कहलाने लगा । उसके पास गांव के किसान से तो क्या जमीदार से भी ज्यादा पैसा हो गया था ।
फिर एक दिन रामू साधु के पास जाता है और कहता है— बाबा मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए बाबा ।
साधु बोला —–मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है बालक। यह क्या लेकर आए हो ।
रामू बोला ——यह तो कुछ रुपए हैं बाबा।
साधु बोला—– इनका मैं क्या करूंगा ।
रामू बोला —–जैसे मैं आपके जादुई दाने से इतनी सब्जियां उगाई वैसे ही… ।
तभी साधु बोलता है —–कौन सी जादुई दाने ?
रामू बोला—– अरे वही जो आपने मुझे सब्जी उगाने के लिए दिए थे बाबा।
साधु बोला —–वह कोई जादुई दाने नहीं थे बालक ।
रामू बोला —-कि फिर उसमें से सब्जियां कैसे हुई ।
साधु बोला —–जैसे दूसरों की खेती होती हैं या जैसे दो बार के बाद मैंने तुम्हें जादुई दाने नहीं दिए फिर भी तुम्हारे खेत में सब्जियां उगती रही।
रामू बोला—– कि दूसरी बार तो आप ही ने कहा था कि अब तुम्हें हमारे पास आने की जरूरत नहीं है मैंने इन दानों में भरपूर जादू डाल दिया है। अब तुम सब्जी के दाने से सब्जी उगाते जाना ।
साधु बोला ——यही तो मैं तुम्हें समझाना चाहता हूं बालक। जब तुम मेरे पास आए पूरी तरह से टूटे हुए थे। तुम्हारी सोच यह थी कि तुम्हारी अपनी खेती हो तभी तुम धनवान बन सकते हो लेकिन ऐसा नहीं है ।
इंसान अपनी चीजों से नहीं अपने मेहनत से धनवान बनता है ।
रामू बोला ——मैं अभी नहीं समझा बाबा ।
साधु बोला—– मैं अगर कह देता कि तुम्हारे पास जमीन के नाम पर तुम्हारा आगन है, वहीं पर खेती करो तो तुम नहीं करते और दूसरे दिन बुलाया और जादू के दाने देने के बहाने सब्जियों के बीज दे दिए। तुम्हें लगा कि जादुई दाने हैं चमत्कार तो होगा ही और चमत्कार हुआ और वह चमत्कार मेरे जादुई दाने का नहीं तुम्हारे मेहनत का था ।
रामू बोला —-यह आप क्या कह रहे हैं बाबा ?
साधु बोला-— हां ,उसके बाद जब तुम दूसरी बार आए, तो मैं समझ गया कि तुम बार-बार आओगे इसलिए मैंने झूठ कहां कि इन दानों में मैंने भरपूर जादू डाल दिया है।
साधु बोला ——तुम बस इस सब्जी से बने बीज को उगाना, बस तुम वही करते गए और अपने मेहनत में खो गए । आज देखो तुम एक मामूली किसान रामू नहीं रामू सब्जी वाले रामू सेठ बन गए हो।
साधु द्वारा दी गई सीख
अगर तुम अपने आंगन में काम शुरू ना किया होता तो, किसी का भी ध्यान तुम पर ना जाता और जमीदार तुम्हें कभी जमीन नहीं देता।
एक बात याद रखना बालक ‘इस दुनिया में काम करने वालों का काम देख कर ही लोग उन्हें काम देते हैं बस जरूरत है कैसे भी काम की शुरुआत करने की’
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