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jadui paudhe ki kahani |
जादुई पौधे की कहानी (jadui kahani in hindi)
यह कहानी हरीनगर में रहने वाले एक मुकेश की है । मुकेश उसके पिताजी के गुजर जाने के बाद अपनी माँ का एकलौता सहारा था और काफी मेहनती बच्चा था।
एक दिन मुकेश के मां की तबीयत अचानक खराब होने लगी और फिर मुकेश की मां बीमारी के चपेट में आ गई। डॉक्टर ने मुकेश को बताया, यदि वह अपनी मां की ठीक तरह से देखभाल करें, समय पर दवाइयां और भोजन कराएं तो उसकी मां जल्द ही ठीक हो जाएगी ।
मुकेश घबरा सा गया। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह दवाइयों और भोजन के लिए पैसे कहां से लाएगा।
मुकेश उदास सा चेहरा लेकर काम की तलाश में निकल पड़ा। काफी घूमने के बाद और लोगों से पूछने के बाद उसे एक सेठ मिला।
सेठ पूछता है-— क्या हुआ इतने घबराए हुए क्यों हो?
मुकेश बोलता है —–सेठ जी मेरा नाम मुकेश है। काफी जगह पूछने के बाद मुझे आपका पता मिला।
मेरी मां बड़ी बीमार है, सेठ जी और दवाई और खाने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। मैं आपसे विनती करता हूं, मेरी मदद कीजिए।
यह बात सुनकर सेठ उसे तुरंत ही काम पर रख लेता है और फिर पूरा दिन मुकेश सेठ के यहां काम करता है।
और फिर शाम को अपनी मां के लिए दवाई और खाना लेकर जाता और अपनी मां की देखभाल करता था ।
देखते ही देखते समय निकलता गया । एक दिन जब मुकेश काम पर थोड़ी देर से पहुंचा तो सेठ ने बहाना बनाकर उसे बाहर निकाल दिया और यहां तक कि उसे पैसे भी नहीं दिए।
उसे बहुत माफी मांगने के बाद भी सेठ ने अपना मन नहीं बदला और फिर मुकेश उदास मन से ही रास्ते पर चल पड़ा।
मुकेश को मिली एक बूढ़ी औरत (new jadui hindi story )
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budhi aurat |
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कुछ दूर चलने के बाद और बहुत धूप के कारण, वह एक बट की छांव में ठहर गया और जोर जोर से रोने लगा।
वहां पास में एक बूढ़ी औरत बैठी थी । वह उसे रोता देख उसके पास आई और बोली —-अरे बेटा ! क्या हो गया ? क्यों रो रहे हो?
मुकेश ने उस औरत को बताया है कि, उसके मालिक ने उसके साथ ऐसा सलूक किया । यहां तक कि पैसे भी नहीं दिए और अब वह अपनी मां की देखभाल कैसे करेगा ?
बूढ़ी औरत बोली–— देखो बेटा ,मैं तुम्हारी बहुत ज्यादा मदद नहीं कर सकती। मेरा खुद का गुजारा दुसरो के दिए हुए पैसे पे चलता है।
पर तुम यह पैसे ले जाओ, मुझसे ज्यादा अभी तुम्हें इसकी जरूरत है।
मुकेश कहता है —–आप चिंता ना करें, मैं बहुत मेहनत करूंगा और यह पैसे आपको जल्द ही लौटा दूंगा।
बूढ़ी औरत मुकेश में इतनी हिम्मत देख कर मुस्कुराती है और आशीर्वाद देती है।
वह पैसे लेकर मुकेश अपनी मां की दवाइयां लेता है और खुद के खाने के पैसे बचा कर दुकान से कुछ फसल के बीज खरीद लेता है।
और अपने घर के बाहर छोटी सी जमीन में लगा देता है और फिर रोज सुबह उसे पानी से सींचने लगता है।
और साथ ही काम पर जाता है और बहुत ज्यादा मेहनत करने लगता है । देखते ही देखते उसके पौधे बड़े होने लगते हैं ।
उसको बाजार में बेचकर थोड़ी मुनाफा कमा कर , थोड़ी और जमीन ले लेता है।
फिर से उसमें पौधे(paudha) उगाने लगता है। पैसे भी निकलने लगते हैं ,मुनाफा भी बढ़ने लगता है। धीरे-धीरे उसकी मां अच्छे इलाज , देखभाल से ठीक होने लगती है और सब कुछ बहुत ही अच्छा चलने लगता है ।
एक दिन उसके पड़ोस में रहने वाली औरत मालती उसकी मां से मांगने उसके घर जाती है और कहती है—— अरे माजी थोड़ा सा चावल मिलेगा । मैं आपको परसों तक लौटा दूंगी।
मुकेश की मां कहती है–— आरे क्यों नहीं ? ले जाओ और लौटाने की कोई जरूरत नहीं है ।अंदर आ जाओ।
जैसे ही मल्टी उसके घर के अंदर जाती है, वह देखती है-– महंगा सामान और कीमती चीजें तथा खाने के तरह-तरह के पकवान है ।
यह देख मालती हैरान हो जाती है और घर जाकर अपने पति को सब कुछ बताती है और कोसने लगती है।
कहती है ——वह लोग हमसे भी गरीब और गए गुजरे थे और आज उनकी हालत देखो ,राजाओ जैसी है।
परी ने दिया जादुई पौधा (jadui paudha hindi kahania)
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jadui kahani in hindi |
एक तुम हो ! कहीं भी काम पर नहीं जाते। यहां तक कि सारे पैसे जुए में लूटा दिए। यदि तुम ठीक नहीं हुए तो मैं यहां से चली जाऊंगी।
यह सुनकर मालती का पति आग बबूला हो जाता है। गुस्सा होकर वहां से चला जाता है। और जैसे ही रात होती है, वह चुपके से मुकेश के खेत में घुसकर- सारे लगाए हुए पौधे(paudha) नष्ट कर देता है और अपने घर की ओर भागने लगता है।
आवाज सुनकर मुकेश की नींद टूट जाती है और वह बाहर निकल कर देखता है तो उसके सारे पौधे नष्ट हो चुके होते हैं।
यह देखकर उसका मन टूट जाता है और वह रोने लगता है। तभी वहां पर एक परी आ जाती है।
परी बोलती है —-क्या हुआ? तुम उदास क्यो हो?
मुकेश बोलता है –—–मेरे पौधों को किसी ने नष्ट कर दिया है। मैंने सालों की मेहनत और छोटी-छोटी जमीन लेकर और सिंचाई करके पौधे उगाए थे और रोज उनकी देखभाल में जुटा रहता था ।
पता नहीं किसने यह मेरा नुकसान कर दिया ? मैंने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा।
परी बोलती है –—-मैं अच्छी तरह जानती हूं कि तुमने किस तरह से मेहनत की है और अपनी मां को संभाला और उनका बहुत अच्छे से ध्यान भी रखा।
तुम जैसे अच्छे मन के बच्चे बहुत कम होते हैं मुकेश । परी उसके हाथ में एक चमचमाता हुआ बीज देती है और उसे बताती है कि, इस बीज को बोने से उसे एक जादुई पौधा ( jadui paudha) मिलेगा , जो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करेगा।
और साथ ही उसके पौधे पहले से बेहतर बनने लगेंगे ।
मुकेश जैसे ही बीज को जमीन में गाड़ कर पानी देता है, उसमें से एक चमचमाता हुआ पौधा बाहर निकलता है।
और वह उस पौधे से जो भी मागता है , वह उसी समय प्रकट होने लगता है, मुकेश का पड़ोसी चुपके से सब कुछ देख रहा होता है ।
मुकेश काफी खुश हो जाता है और परी उसे आशीर्वाद देकर वहां से चली जाती है ।
मुकेश के जादुई पौधे की चोरी (new jadui kahani in hindi)
मुकेश का पड़ोसी घर लौटकर मन ही मन पौधे चुराने की योजना बनाता है।
एक दिन मुकेश, अपनी मां को शहर में घुमाने ले जाता है और तभी उसका पड़ोसी उसके पौधे चुराकर , अपने घर में ले जाकर बड़े से दराज में लगा देता है ।
मुकेश देखता है कि, उसका पौधा(paudha) वहां से गायब है और यह देखकर बहुत उदास हो जाता है । और बहुत दुखी हो जाता है और गुस्से में वहां से चला जाता है ।
खूब दूर चलने के बाद उसे वह बुढ़िया दिखाई देती है जिसने उसकी मदद की थी और मुकेश अपनी सारी परेशानियां भूलकर उस बुढ़िया से जा मिलता है।
और उससे पैसे वापस देता है । मुकेश कहता है —— मां जी यह हैं आपके पैसे । मैंने उस पेड़ के आसपास आपको कई बार ढूंढा, पर आप कहीं ना मिले ।
मेरी मदद करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आज मेहनत करके मेरे पास सब कुछ है और आज मैं बहुत काबिल भी हूं ।
यह सुनकर बुढ़िया मुस्कुराती है और तुरंत परी का रूप धारण कर लेती है। यह देख मुकेश चौक जाता है ।
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pari ki kahani |
परी(pari) बोलती है —–तुम हमेशा से अच्छे बच्चे हो और बहुत ही मेहनती रहे हो मुकेश। और मैं तुम जैसे अच्छे लोगों की ,आम इंसान के रूप में मदद करती हूं।
आज तुम फिर मुझसे मिलने के पहले काफी नाराज थे, क्या हुआ ? सब ठीक है ना।
मुकेश परी के दिए हुए पौधे के बारे में बताता है , कि उसे किसी ने चुरा लिया है।
परी बताती है-— तुम फिकर ना करो, पौधे की एक और खासियत है । जो कोई भी उसे ले जाएगा, वह खुद ही तुम्हें वापस कर देगा और माफी भी मांगेगा।
यह सुन मुकेश सोच में पड़ जाता है और परी वहां से गायब हो जाती है। और वह घर चला जाता है ।
जैसे ही मुकेश का पड़ोसी पौधे से अपनी मनोकामना मांगने के लिए वह दराज खोलता है , उस पौधे के आसपास सांप(sanp) और बिच्छू(bichhu) निकलने लगते हैं।
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sanp |
उसके घर में फैल जाते हैं और उसकी बीवी मालती को डस लेते हैं।
पड़ोसी, मुकेश के पास घबराते हुए मदद के लिए आता है और उसे सब सच सच बता देता है। उसके पैरों में गिरकर माफी मांगने लगता है।
मुकेश उसकी हालत देख तुरंत दुख से भर जाता है और उसके घर जाता है । और जादुई पौधे से सब कुछ ठीक होने की मनोकामना मागता है ।
अचानक पौधे में से रोशनी फैलती है और वहां घूम रहे सांप- बिच्छू गायब हो जाते हैं और मांलती को भी होश आ जाता है ।
उसका पड़ोसी क्षमा मांगता है और उसके यहां काम मांगता है, ताकि वह भी मुकेश की तरह मेहनत कर कुछ अच्छा कर सके।
नैतिक शिक्षा (moral stories lesson in hindi)
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हमे ईमानदारी और मेहनत करके सफल बनना चाहिए, छल-कपट और लालच करके नहीं।
यह नैतिक जादुई कहानी(moral jadui kahani) पढ़कर आपको कैसा लगा comment करके जरूर बताइये।
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कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद! अच्छा पढें-अच्छा सीखे।