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मोटे आदमी लड्डू की कहानी (jadui chakki ki kahani)
बसेपुर गांव में ,लड्डू नाम का एक लड़का रहता था। लड्डू बहुत मोटा था। एक दिन लड्डू रोड पर हिलते दुलते चल रहा था।
उसे देख कर एक आदमी कहता है—– देखा लड्डू को, चलने तक मुश्किल हो रहा है । अब तक उसकी मां उसे पाल पोस कर , बिस्तर पकड़ ली और यह है की अभी नौकरी ढूंढ रहा है।
इसे देखकर क्या कोई नौकरी देगा ? और तो और इसने कलर्क की नौकरी तक के लिए पढ़ाई भी नहीं कर रखी है। पता नहीं यह अपनी मां को कैसे बचा पाएगा ? भगवान ही जाने।
लड्डू के घर जाते हैं उसकी मां के पास एक डॉक्टर मिलता है डॉक्टर कहता है —–क्यों रे लड्डू? जो मैं तुम्हारी मां के लिए दवाई दिया था, वह तुम उसे नहीं दे रहे हो क्या? उनकी तबीयत और बिगड़ती जा रही है ।
दवाइयों का डोज बढ़ा रहा हूं अगर अब भी समय पर दवा नहीं दिया तो अब वह नहीं बचेगी। तुम तो अस्पताल में भर्ती तक नहीं कर पा रहा है तो कम से कम महीने के 4-5 हजार की दवाइयों को नहीं ला पाया तो कैसे चलेगा?
लड्डू बोलता है ——मेरा यह आकार देखकर मुझे कोई नौकरी नहीं दे रहा है डॉक्टर । यदि आपके अस्पताल में कोई काम है तो दिलवा दीजिए ।
डॉक्टर बोलता है—— अगर मैं तुम्हें अस्पताल पर नौकरी में रख लिया तो वहां पर रखी सभी टानिक की गोलियां ,दवा सब खा जाएगा। मरीजों के लिए कुछ नहीं बचेगा। मुझे बख्श दो।
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लड्डू को मिली जादुई चक्की(hindi kahani of jadui chakki)
यह कहकर डॉक्टर वहाँ से चला गया । लड्डू एक दिन नंदू लाल होटल के सामने आया । उसे भूख से चक्कर आ रहे थे ।
उसने सोचा —-जो होगा बाद में देखा जाएगा पहले इस होटल में पेट भर के खाना खाते हैं , पैसों के बारे में बाद में सोचते हैं। यह सोचकर अंदर चला गया।
लड्डू टेबल पर बैठकर वेटर से बोलता है —-दो चिकन बिरयानी ,10 रोटी ,मटन, कीमा लेकर आओ और हां रायता जरूर लेकर आना।
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यह देख कर मैनेजर नंदू बोलता है-— अबे लड्डू नौकरी तो तू करता नहीं है, तो यह सब खाने के तेरे पास पैसे कहां है रे ?
लड्डू कहता है—- पैसे क्या जेब में रखना, ऐसा कोई रूल है। पैसे तो कहीं भी रख सकता हूं ना । पहले आर्डर भिजवाओ।
लड्डू कीमा, रोटी ,मटन पेट भर के खा लिया। नंदू बिल लेकर उसके पास जाता है और कहता है —-पूरा 12 सौ हुए।
1200रु ! लड्डू बोलता है । बारह सौ यानी तुम्हारे होटल में कितने दिन काम करने से यह बिल चुक जाएगा ?
नंदू उसे जोर से दे मारा और कहता है —-पहले ही पता था रे तू ऐसा ही कुछ करने वाला है और क्या कह रहे थे —पैसे कहीं पर भी रख सकते हैं रे !
नंदू अपने वेटर से कहता है—- इसे कमरे में बंद करके एक बोरी आटा एक बेरी गेहूं पीसवाओ तब इसे अक्ल आएगी।
इस तरह लड्डू एक बंद कमरे में चना दाल चक्की(chakki) से पीसने लगा। जब वह चना पीस रहा था तो कुछ समय बाद सोने के सिक्के बाहर आने लगे । यह देखकर लड्डू चकित रह गया । इस तरह आटा पीसने तक बहुत सारे सोने के सिक्के निकले ।
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लड्डू उन सब को बांधकर बाहर आया और कहां —-सेठ पूरा आटा पीस दिया । आटा पीसने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया। फिर कल आऊंगा।
…कहकर लड्डू चला गया। नंदू कहता है ——शुक्रिया ! फिर आऊंगा, ऊपर से एक दिन का लगने वाला काम को एक घंटे में कर दिया इसने। कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
लड्डू फिर वह सोने के सिक्के को सोनार को बेचकर पैसे ले लिए । मां को फिर एक शहर में बड़े अस्पताल में भर्ती करवाया ।
दो दिन बाद लड्डू नंदू के होटल में फिर आकर बैठा और कहता है-— बेटर ,आज शनिवार है मैं आज वेज ही खाऊंगा । वेज में कुछ जो कुछ भी है वह सब उठा कर लाओ ।
नंदू आकर कहता है —–क्यों रे ? फिर से सेम प्लान करते हो। इस बार ऐसा नहीं चलेगा। जब तक तुम पैसे नहीं दिखाओगे, तब तक खाना नहीं देंगे ।
लड्डू जेब से पैसे निकाल कर दिखाया ,नंदू, वेटर से कहता है —- सर को जो चाहिए वह दो । फिर लड्डू सारी चीजें खा गया ।
नंदू आकर लड्डू से कहता है-— सर इस बार आपने ज्यादा खाया है। इस बार बिल 2000रुपये का है सर ।
लड्डू बोलता है—- मैं पैसे नहीं भरुगा , चाहे तुम जितना मन उतना आटा पीसवा लो। मंजूर है तो बोलो, वरना फाइट के लिए तो मैं तैयार ही हूं । पैसे तो मैं नहीं दूंगा ।
नंदू सोचता है– बाप रे इससे कौन फाइट करेगा इससे। आटा ही पिसवा लेता हूं ।
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लड्डू चक्की पीसने लगा। उसमें से सोने के सिक्के बाहर आने लगे। फिर लड्डू उन सब को लेकर निकल गया । इस तरह हर दिन लड्डू का, खाना पेट भर के खाना, आटा पीसना और सिक्के लेकर चला जाना चलता रहा ।
जल्द ही लड्डू एक घर बनवा लिया और जैसे ही किसी को पैसे की जरूरत होती — उन्हें भी उपाय बता देता।
फिर सब ही इस होटल में खाना खाकर ,आटा पीस कर, सोने के सिक्के ले जाने लगे ।
नंदू ने जादुई चक्की को कुँए में फेंका(jadui chakki ki kahani)
नंदू ने सोचा —-यह क्या ? जो हर समय बिल भरते थे , वह लोग भी खाना खाकर आटा पीसकर जा रहे हैं । कुछ तो चल रहा है।
एक दिन जब कोई आटा पीस रहा था तो नंदू खिड़की में से देखा —-चक्की से सोने के सिक्के निकलता देख, नंदू चकित रह गया।
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तुरंत नंदू 5 बोरी गेहूं लेकर ,आटा पीसने लगा। आटा तो निकल रहा था पर सिक्के नहीं । नंदू लगातार पीसते रहा फिर रात हो गई, नंदू थक कर सो गया लेकिन सोते हुए भी चक्की पीस ही रहा था लेकिन सोना नहीं आ रहा था।
इस तरह सुबह अगले दिन तक चक्की पीसा, तब उसमें से कुछ लोहे के सिक्के बाहर आए। नंदू हैरान रह गया, जब चक्की बात करने लगी और बोली—— मैं एक जादुई चक्की (jadui chakki) हूं ।
जो दुखी और जरूरतमंद लोग हैं सिर्फ उन्हीं के लिए सोने के सिक्के देती हूं और जो लोग संपन्न हैं तथा लालची हैं ,उन लोगों के लिए मैं कुछ भी नहीं देती।
तुम्हारे लिए सिर्फ मैं आटा पीसने की काम आ सकती हूं। नंदू लाल को गुस्सा आया ,उसने कहा –—-ठीक है। मुझे तुम्हारी क्या जरूरत । मैं तुम्हें अभी कुएं में फेंक दूंगा, जब मुझे नहीं मिला तो फिर किसी और को क्यों मिलना चाहिए?
यह कह कर ,उसने चक्की को ले गया और कुएं में फेंक दिया। यह सब चीजें लड्डू पेड़ के पीछे छुप-कर देख रहा था ।
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फिर लड्डू उस चक्की को अपने घर ले गया और वह कुछ लोगों से कहा—– यदि आप लोगों को सच में जरूरत हो तो ही इस चक्की को घुमा कर अपनी जरूरत पूरा कीजिए।
यदि लालच करने की कोशिश की तो यह चक्की आपको लोगों को घुमा देगी।
सब लड्डू को नमस्कार और धन्यवाद किए। और अपनी जरूरतों को पुरा करने लगे।
नैतिक शिक्षा (moral stories lesson in hindi )
इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है की हमे जरूरत-मंद लोगो की मदद करनी चाहिए।
यह जादुई कहानी(jadui chakki ki kahani) आपको कैसी लगी comment करके जरूर बताये।
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कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद!